
तीस पार नहीं कर सकेंगे एलएलबी
बदले कायदे
कानून की पढ़ाई के लिए नए कायदे लागू हो गए हैं। उम्र निकलने के बाद वकील बनना मुश्किल हो जाएगा।
रजाक हैदर
जोधपुर, 11 जून। तीस साल की उम्र पार कर जाने वाले अब वकील बनने का सपना नहीं संजो सकेंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने जुलाई में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से तो उम्र पार लोगों के कानून की पढ़ाई पर भी पाबन्दी लगा दी है। एलएलबी की पढ़ाई के लिए अब तक आयु सीमा की पाबंदी नहीं थी, लेकिन अब इंजीनियरिंग व मेडिकल शिक्षा की तर्ज पर कानूनी शिक्षा में भी आयु सीमा की बंदिश लागू हो गई है। देश के सभी विश्वविद्यालयों को प्रवेश में आयु सीमा की सख्ती से पालना करने के निर्देश दिए गए हैं।
अजा-जजा को छूट
अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को आयु सीमा में पांच साल की छूट दी गई है। तीन साल के एलएलबी पाठ्यक्रम में ऐसे आवेदकों के लिए 35 साल आयु तय की गई है, वहीं पांच साल के पाठ्यक्रम में सामान्य वर्ग के लिए 20 तथा अन्य वर्गों के लिए 22 साल की आयु सीमा है।
शौकिया नहीं बनेंगे वकील
नौकरी या दूसरे काम-काज से फुर्सत पाकर बुढ़ापे में वकालत करने वालों के अरमान भी अब पूरे नहीं हो पाएंगे। तीस साल की उम्र के बाद इनके लिए विधि क्षेत्र के दरवाजे बंद हो जाएंगे। राज्य के कई विश्वविद्यालयों में फिलवक्त कई अधेड़ विद्यार्थी कानून पढ़ रहे हैं।
व्यास विवि बेखबर
बीसीआई के नए कायदों से जोधपुर का जयनारायण व्यास विश्वविद्यायालय फिलहाल बेखबर है। विवि की प्रवेश विवरणिका में भी इसका जिक्र नहीं है। ऐसे में निर्धारित उम्र से अधिक आयु के विद्यार्थियों को प्रवेश देने के बाद विवि इनके आवेदन खारिज नहीं कर सकेगा।
इनका कहना है...
एलएलबी में आयु सीमा तय की गई है। हमने देश के सभी विवि शिक्षण संस्थानों को इसकी इत्तला दे दी है। -जयराम बेनीवाल, उपाध्यक्ष, बार काउंसिल ऑफ इंडिया
हमारे पास फिलहाल कोई सूचना नहीं आई है। कल पता करने के बाद ही इस बारे में कुछ कह पाऊंगा। -डॉ. एम.के. भण्डारी, अधिष्ठाता, विधि संकाय, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय
बदले कायदे
कानून की पढ़ाई के लिए नए कायदे लागू हो गए हैं। उम्र निकलने के बाद वकील बनना मुश्किल हो जाएगा।
रजाक हैदर
जोधपुर, 11 जून। तीस साल की उम्र पार कर जाने वाले अब वकील बनने का सपना नहीं संजो सकेंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने जुलाई में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से तो उम्र पार लोगों के कानून की पढ़ाई पर भी पाबन्दी लगा दी है। एलएलबी की पढ़ाई के लिए अब तक आयु सीमा की पाबंदी नहीं थी, लेकिन अब इंजीनियरिंग व मेडिकल शिक्षा की तर्ज पर कानूनी शिक्षा में भी आयु सीमा की बंदिश लागू हो गई है। देश के सभी विश्वविद्यालयों को प्रवेश में आयु सीमा की सख्ती से पालना करने के निर्देश दिए गए हैं।
अजा-जजा को छूट
अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को आयु सीमा में पांच साल की छूट दी गई है। तीन साल के एलएलबी पाठ्यक्रम में ऐसे आवेदकों के लिए 35 साल आयु तय की गई है, वहीं पांच साल के पाठ्यक्रम में सामान्य वर्ग के लिए 20 तथा अन्य वर्गों के लिए 22 साल की आयु सीमा है।
शौकिया नहीं बनेंगे वकील
नौकरी या दूसरे काम-काज से फुर्सत पाकर बुढ़ापे में वकालत करने वालों के अरमान भी अब पूरे नहीं हो पाएंगे। तीस साल की उम्र के बाद इनके लिए विधि क्षेत्र के दरवाजे बंद हो जाएंगे। राज्य के कई विश्वविद्यालयों में फिलवक्त कई अधेड़ विद्यार्थी कानून पढ़ रहे हैं।
व्यास विवि बेखबर
बीसीआई के नए कायदों से जोधपुर का जयनारायण व्यास विश्वविद्यायालय फिलहाल बेखबर है। विवि की प्रवेश विवरणिका में भी इसका जिक्र नहीं है। ऐसे में निर्धारित उम्र से अधिक आयु के विद्यार्थियों को प्रवेश देने के बाद विवि इनके आवेदन खारिज नहीं कर सकेगा।
इनका कहना है...
एलएलबी में आयु सीमा तय की गई है। हमने देश के सभी विवि शिक्षण संस्थानों को इसकी इत्तला दे दी है। -जयराम बेनीवाल, उपाध्यक्ष, बार काउंसिल ऑफ इंडिया
हमारे पास फिलहाल कोई सूचना नहीं आई है। कल पता करने के बाद ही इस बारे में कुछ कह पाऊंगा। -डॉ. एम.के. भण्डारी, अधिष्ठाता, विधि संकाय, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय