देशभर में बीस हजार पैरालीगल स्वयंसेवक होंगे चयनित
नई पहलकानूनी जानकारी के अभाव में नागरिक अब अपने अधिकारों से वंचित नहीं रहेंगे। लोगों को सहजता और सुलभता से कानून के कायदों से अवगत कराने के लिए नई पहल की गई है।रजाक हैदर
जोधपुर. गांव-ढाणियों में रहने वाले आम नागरिकों को अब उनकी चौखट पर ही कानूनी जानकारी मिल सकेगी। कानूनी अज्ञानता को मिटाने के लिए भारत सरकार ने गांव-गांव में विधिक अलख जगाने का निर्णय किया है। इस योजना को अमलीजमा पहनाने का जिम्मा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) को सौंपा गया है। नालसा की ओर से देशभर में 20 हजार और राजस्थान में करीब पांच सौ पैरालीगल स्वयंसेवक नियुक्त किए जाएंगे। यह स्वयंसेवक अपने-अपने क्षेत्र में विशेषकर गरीब और नि:शक्त लोगों की कानूनी अड़चन को दूर करेंगे। प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं देश की शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने राजस्थान में पैरालीगल स्वयंसेवकों का चयन करने के लिए जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पूर्व अधिष्ठाता एवं कानूनविद् प्रो. महेन्द्र कुमार भण्डारी और अधिवक्ता वन्दना भंसाली का चयन किया है।
यह है योजना
योजना के तहत पहले पैरालीगल स्वयंसेवकों को श्रम विधि, महिलाओं से जुड़े कानून, रोजगार, एफआईआर, पारिवारिक न्यायालय, उपभोक्ता अधिकार, गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार, राजस्व कानून और सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का विधिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद वे गांव-गांव जाकर इन विषयों की जानकारी लोगों को देंगे। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उ"ा न्यायालय के न्यायाधीश प्रकाशचन्द टाटिया के मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरल भाषा में कानूनी जानकारी आम आदमी तक पहुंचाने के लिए पुस्तकें भी प्रकाशित की जाएंगी।
कौन होंगे स्वयंसेवक
स्वयंसेवकों को लेकर कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं किया गया है। विधि विद्यार्थी, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी या कोई भी व्यक्ति जो इससे जुड़कर लोगों को कानूनी जानकारी देने में सक्षम हो, वह पैरालीगल स्वयंसेवक बन सकता है। पैरालीगल स्वयंसेवकों को कार्य करने पर नालसा की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाएगा। स्वयंसेवकों को फिलहाल वेतन का प्रावधान नहीं रखा गया है, लेकिन स्वयंसेवकों को किराया भत्ता दिया जाएगा।
क्रांतिकारी पहलआम नागरिकों को कानूनी रूप से सशक्त करने के लिए नालसा की यह क्रांतिकारी पहल है। देशभर में अब पैरालीगल स्वयंसेवक चयनित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। स्वयंसेवकों का चयन करने के बाद उनके लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे।
- प्रो. महेन्द्र कुमार भण्डारी,
राजस्थान के लिए नियुक्त प्रशिक्षक एवं पूर्व अधिष्ठाता, विधि संकाय जेएनवीयू
नई पहलकानूनी जानकारी के अभाव में नागरिक अब अपने अधिकारों से वंचित नहीं रहेंगे। लोगों को सहजता और सुलभता से कानून के कायदों से अवगत कराने के लिए नई पहल की गई है।रजाक हैदर
जोधपुर. गांव-ढाणियों में रहने वाले आम नागरिकों को अब उनकी चौखट पर ही कानूनी जानकारी मिल सकेगी। कानूनी अज्ञानता को मिटाने के लिए भारत सरकार ने गांव-गांव में विधिक अलख जगाने का निर्णय किया है। इस योजना को अमलीजमा पहनाने का जिम्मा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) को सौंपा गया है। नालसा की ओर से देशभर में 20 हजार और राजस्थान में करीब पांच सौ पैरालीगल स्वयंसेवक नियुक्त किए जाएंगे। यह स्वयंसेवक अपने-अपने क्षेत्र में विशेषकर गरीब और नि:शक्त लोगों की कानूनी अड़चन को दूर करेंगे। प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं देश की शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने राजस्थान में पैरालीगल स्वयंसेवकों का चयन करने के लिए जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पूर्व अधिष्ठाता एवं कानूनविद् प्रो. महेन्द्र कुमार भण्डारी और अधिवक्ता वन्दना भंसाली का चयन किया है।
यह है योजना
योजना के तहत पहले पैरालीगल स्वयंसेवकों को श्रम विधि, महिलाओं से जुड़े कानून, रोजगार, एफआईआर, पारिवारिक न्यायालय, उपभोक्ता अधिकार, गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार, राजस्व कानून और सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का विधिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद वे गांव-गांव जाकर इन विषयों की जानकारी लोगों को देंगे। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उ"ा न्यायालय के न्यायाधीश प्रकाशचन्द टाटिया के मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरल भाषा में कानूनी जानकारी आम आदमी तक पहुंचाने के लिए पुस्तकें भी प्रकाशित की जाएंगी।
कौन होंगे स्वयंसेवक
स्वयंसेवकों को लेकर कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं किया गया है। विधि विद्यार्थी, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी या कोई भी व्यक्ति जो इससे जुड़कर लोगों को कानूनी जानकारी देने में सक्षम हो, वह पैरालीगल स्वयंसेवक बन सकता है। पैरालीगल स्वयंसेवकों को कार्य करने पर नालसा की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाएगा। स्वयंसेवकों को फिलहाल वेतन का प्रावधान नहीं रखा गया है, लेकिन स्वयंसेवकों को किराया भत्ता दिया जाएगा।
क्रांतिकारी पहलआम नागरिकों को कानूनी रूप से सशक्त करने के लिए नालसा की यह क्रांतिकारी पहल है। देशभर में अब पैरालीगल स्वयंसेवक चयनित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। स्वयंसेवकों का चयन करने के बाद उनके लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे।
- प्रो. महेन्द्र कुमार भण्डारी,
राजस्थान के लिए नियुक्त प्रशिक्षक एवं पूर्व अधिष्ठाता, विधि संकाय जेएनवीयू