शनिवार, 27 दिसंबर 2008

नया साल आया है...

अपने नए अंदाज में नया साल आया है.
कुछ पुराने गमों को छोड़कर नई खुशियां लाया है.
पुरानी दुश्मनी तोड़कर, नई दोस्ती जोड़कर.
पुराने लम्हे छोड़कर, नई नवेली दुनिया लाया है.
हर याद नई होगी, हर फरियाद नई होगी.
पुराने चेहरे खोजकर नई परियां लाया है.
जो पहले सफल नहीं रहे, वे अब कामयाब होंगे.
नई उम्मीद से बुनी हुई, नई पहेलियां लाया है.
दिल में जो भी राज हो, उनपे हमें नाज़ हो.
हैदर की काया से निकालकर नया दरिया लाया है.
शहर-शहर गली-गली एक नई गूंज होगी.
एक नए काम के आगाज़ का नया नजरिया लाया है.
अपने नए अंदाज में नया साला आया है.
कुछ पुराने गमों को छोड़कर, नई खुशियां लाया है.
- रज़ाक हैदर

गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

कहना नहीं चाहिए...

वैसे कहना नहीं चाहिए। मगर नहीं कहा जाएगा तो कहा जाएगा कि मैंने कहा नहीं और कहा जाएगा तो कहा जाएगा कि मैंने कह दिया। मगर कहें ना कहें, कहने वाले तो कहते ही रहेंगे। क्योंकि कहने वालों का तो काम ही है, कहने वालों को कुछ कहना। तो फिर कुछ कहने वालों को इन कहने वालों से क्यों घबराना। अब इन कहने वालों को कुछ न कहने के लिए कहे भी कौन। क्योंकि कहने वालों को कुछ कहने से कहने वाले कहे जाने का डर है। मगर कुछ नहीं कहे जाने से तो कहने वालों के और भी कहे जाने का डर है। इन कहने वालों के डर से कुछ कहने वाले भी नहीं कह पाते। आप ही ज़रा सोचिए 'बेचारे' कहने वाले करें भी तो क्या ???