गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

कहना नहीं चाहिए...

वैसे कहना नहीं चाहिए। मगर नहीं कहा जाएगा तो कहा जाएगा कि मैंने कहा नहीं और कहा जाएगा तो कहा जाएगा कि मैंने कह दिया। मगर कहें ना कहें, कहने वाले तो कहते ही रहेंगे। क्योंकि कहने वालों का तो काम ही है, कहने वालों को कुछ कहना। तो फिर कुछ कहने वालों को इन कहने वालों से क्यों घबराना। अब इन कहने वालों को कुछ न कहने के लिए कहे भी कौन। क्योंकि कहने वालों को कुछ कहने से कहने वाले कहे जाने का डर है। मगर कुछ नहीं कहे जाने से तो कहने वालों के और भी कहे जाने का डर है। इन कहने वालों के डर से कुछ कहने वाले भी नहीं कह पाते। आप ही ज़रा सोचिए 'बेचारे' कहने वाले करें भी तो क्या ???

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